MODI ने स्वतंत्रता दिवस पर शुरू किया 1 लाख करोड़ का रोजगार अभियान
1. प्रस्तावना – लाल किले से एक नई सुबह की शुरुआत**
15 अगस्त 2025 की सुबह, लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन पूरे देश में गूंज रहा था। तिरंगा हवा में लहरा रहा था, और देशवासियों की निगाहें टीवी, मोबाइल और रेडियो पर टिकी थीं। इस बार के स्वतंत्रता दिवस भाषण में सिर्फ आज़ादी के 78 साल पूरे होने की खुशी ही नहीं थी, बल्कि आने वाले भारत के भविष्य की एक ठोस झलक भी थी।
जब प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार *₹1 लाख करोड़* का विशेष रोजगार अभियान शुरू कर रही है, तो यह सुनते ही लाखों युवाओं की आँखों में उम्मीद की चमक लौट आई। यह घोषणा *”प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना”* (PM-VBRY) के रूप में सामने आई, जिसका उद्देश्य देश के युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।
यह सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि करोड़ों युवाओं के सपनों को पंख देने वाला एक रोडमैप है — एक ऐसा प्रयास, जो भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के मिशन से जोड़ता है।
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2. पृष्ठभूमि – भारत और युवाओं की चुनौती**
2.1 भारत का जनसांख्यिकीय लाभ**
* भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है — *65% आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है*।
* हर साल लगभग *1.2 करोड़ नए युवा* नौकरी की तलाश में कार्यबल में प्रवेश करते हैं।
* यह “डेमोग्राफिक डिविडेंड” तभी लाभकारी है, जब युवाओं को समय पर गुणवत्तापूर्ण रोजगार मिले।
2.2 बेरोजगारी की समस्या**
* CMIE के अनुसार, 2024-25 में शहरी बेरोजगारी दर 7-8% के बीच रही।
* कई स्नातक और तकनीकी डिग्री धारक भी पहली नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
* महामारी के बाद रिकवरी तेज हुई, लेकिन स्थायी और औपचारिक नौकरियों की कमी बनी रही।
2.3 सरकार की रणनीतिक प्राथमिकता**
* मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्किल इंडिया जैसी योजनाओं के साथ, अब PM-VBRY एक *सीधा जॉब-क्रिएशन टूल* के रूप में जोड़ा गया है।
* इसका मकसद *पहली नौकरी पाने वाले युवाओं* और *नए कर्मचारियों को जोड़ने वाले नियोक्ताओं* — दोनों को प्रोत्साहन देना है।
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3. योजना का अनावरण – पीएम विकसित भारत रोजगार योजना (PM-VBRY)**
*3.1 योजना का आकार और लक्ष्य*
* कुल बजट: *₹99,446 करोड़ (\~₹1 लाख करोड़)*
* अवधि: *2 वर्ष (2025-2027)*
* लक्ष्य: *3.5 करोड़ रोजगार के अवसर*
* इनमें से लगभग *1.92 करोड़ पहली बार नौकरी पाने वाले युवा* होंगे।
3.2 घोषणा का मुख्य संदेश**
प्रधानमंत्री ने कहा:
> “यह योजना हमारे युवाओं के लिए एक ‘डबल दिवाली’ है — पहली नौकरी की खुशी और सरकार का सीधा सहयोग।”
3.3 दो भागों में योजना का ढांचा**
*भाग A – पहली बार नौकरी पाने वाले कर्मचारी*
* *₹15,000 की सीधी प्रोत्साहन राशि*
* योग्यता:
* EPFO-पंजीकृत निजी क्षेत्र में पहली बार नौकरी
* मासिक वेतन ₹1 लाख से कम
* भुगतान:
* दो किस्तों में: पहली किस्त 6 महीने बाद, दूसरी 12 महीने बाद
* राशि का एक हिस्सा बचत के लिए लॉक-इन
भाग B – नियोक्ताओं के लिए प्रोत्साहन**
* प्रति नए कर्मचारी *₹3,000 प्रति माह तक* 2 वर्षों के लिए
* विनिर्माण (Manufacturing) क्षेत्र में 3-4 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है
* शर्तें:
* <50 कर्मचारियों वाले संस्थानों को कम से कम 2 अतिरिक्त कर्मचारियों की भर्ती करनी होगी
* ≥50 कर्मचारियों वाले संस्थानों को कम से कम 5 अतिरिक्त कर्मचारियों की भर्ती करनी होगी
* नियुक्ति कम से कम 6 महीने तक बरकरार रहनी चाहिए
* भुगतान DBT (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से PAN-लिंक्ड खातों में
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4. योजना कैसे काम करेगी – चरणबद्ध विवरण**
| *कदम* | *विवरण* |
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| 1 | नियोक्ता EPFO पोर्टल पर अतिरिक्त कर्मचारियों का रजिस्ट्रेशन करेंगे |
| 2 | कर्मचारी आधार और बैंक खाता लिंक कराएंगे |
| 3 | 6 महीने की निरंतर नौकरी के बाद पहली किस्त जारी होगी |
| 4 | 12 महीने बाद दूसरी किस्त जारी होगी |
| 5 | नियोक्ताओं को मासिक प्रोत्साहन सीधे खाते में मिलेगा |
| 6 | सरकार मासिक प्रगति रिपोर्ट प्रकाशित करेगी |
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5. योजना के संभावित लाभ**
5.1 युवाओं के लिए**
* पहली नौकरी में *₹15,000 अतिरिक्त मदद* से शुरुआती आर्थिक बोझ कम
* औपचारिक क्षेत्र में EPFO कवर मिलने से पेंशन और बीमा सुरक्षा
* रोजगार बाजार में आत्मविश्वास और अनुभव का निर्माण
5.2 नियोक्ताओं के लिए**
* श्रम लागत में कमी, जिससे अधिक भर्ती करने की प्रेरणा
* विनिर्माण और MSME सेक्टर में उत्पादन क्षमता में वृद्धि
* औपचारिक रोजगार में वृद्धि, जिससे टैक्स और सामाजिक सुरक्षा कवरेज बढ़ेगा
5.3 अर्थव्यवस्था के लिए**
* उपभोक्ता मांग में वृद्धि, क्योंकि अधिक लोगों के पास आय होगी
* स्किल डेवलपमेंट और मेक इन इंडिया जैसी पहलों के साथ तालमेल
* ग्रामीण और छोटे शहरों में रोजगार के अवसरों का विस्तार
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6. चुनौतियाँ और सावधानियाँ**
6.1 क्रियान्वयन की चुनौतियाँ**
* DBT और EPFO पंजीकरण में ग्रामीण युवाओं तक पहुंच
* वास्तविक और स्थायी नौकरियों की निगरानी
* फर्जी रजिस्ट्रेशन और दोहरी लाभ प्राप्ति से बचाव
6.2 वित्तीय बोझ**
* ₹1 लाख करोड़ का सीधा खर्च, जिसके लिए प्रभावी राजस्व प्रबंधन आवश्यक
* दीर्घकालिक राजस्व लाभ के लिए योजनाबद्ध कर सुधार
6.3 रोजगार की गुणवत्ता**
* केवल संख्या नहीं, बल्कि कौशल-संगत और स्थायी नौकरियों का सृजन
* अस्थायी या अल्पकालिक भर्ती से बचाव
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7. जमीनी प्रतिक्रियाएँ – काल्पनिक लेकिन यथार्थवादी दृष्टिकोण**
*रवि कुमार (B.Tech ग्रेजुएट, बिहार):*
> “पहली नौकरी में सरकार से ₹15,000 की मदद मिलने से मुझे किराए और शुरुआती खर्च में बड़ी राहत मिलेगी। इससे मेरे माता-पिता का भी बोझ कम होगा।”
अंजलि मेहता (MSME उद्यमी, गुजरात):**
> “नए कर्मचारियों के लिए ₹3,000 प्रति माह की मदद हमारे जैसे छोटे उद्योगों के लिए बहुत मायने रखती है। इससे मैं अगले साल 5 और लोगों को नियुक्त करने की सोच रही हूँ।”
*आर्थिक विश्लेषक की टिप्पणी:*
> “यह योजना साहसिक है और तत्काल रोजगार बढ़ाने का असर करेगी, लेकिन इसकी सफलता सख्त मॉनिटरिंग और स्किल ट्रेनिंग के तालमेल पर निर्भर करेगी।”
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8. 2047 की ओर – विकसित भारत का सपना**
* यह योजना सिर्फ 2 साल की नौकरी सृजन योजना नहीं, बल्कि 2047 के *विकसित भारत* लक्ष्य की एक कड़ी है।
* अगर इस दौरान स्थायी रोजगार और कौशल विकास सुनिश्चित होता है, तो भारत का GDP और रोजगार दर दोनों नई ऊँचाइयों पर पहुँचेंगे।
* यह युवाओं को सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि *करियर और आर्थिक स्वतंत्रता* की दिशा में आगे बढ़ाने वाला कदम है।
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9. निष्कर्ष**
स्वतंत्रता दिवस 2025 का यह रोजगार पैकेज करोड़ों युवाओं के लिए उम्मीद की किरण है। ₹1 लाख करोड़ की यह योजना एक साथ *आर्थिक प्रोत्साहन, सामाजिक सुरक्षा और औपचारिक रोजगार वृद्धि* का मेल है।
लेकिन असली सफलता तभी होगी, जब:
1. योजना का क्रियान्वयन पारदर्शी और समयबद्ध हो।
2. नियोक्ता और कर्मचारी दोनों सक्रिय भागीदारी करें।
3. दीर्घकालिक रोजगार और कौशल विकास पर बराबर जोर दिया जाए।
अगर यह सब हुआ, तो यह पहल भारत की रोजगार कहानी को नए युग में प्रवेश करा सकती है — जहाँ हर युवा के पास न केवल काम हो, बल्कि वह अपने सपनों को साकार करने की राह पर हो।
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